Saanwariya Le Chal Parli Paar साँवरिया ले चल परली पार - Krishna Bhajan By Jaya Kishori Ji Lyrics, Mp3 Free Download
Radha Krishna Bhajan Download Saanwariya Le Chal Parli Paar Full
Lyrics kbps download
Bhajan
Saanwariya Le Chal Parli Paar
Radha Krishna
Download Details
Track Name - Saanwariya Le Chal Parli Paar
Voice - Jaya Kishori Bhajan
Tags - Radha Bhajan
_____________________
_____________________________________
Read Here - भक्ति कथायें ।।
_____________________________________
-Lyrics-
साँवरिया ले चल परली पार
saanwariya le chal parli paar jahan viraje radha rani albeli sarkaar
कन्हैया ले चल परली पार, साँवरिया ले चल परली पार ॥
जहां विराजे राधा रानी, अलबेली सरकार॥
विनती मेरी मान सनेही, तन मन है कुर्बान सनेही॥
कब से आस लिए बैठी हूँ, जग को बाँध किये बैठी हूँ ॥
मैं तो तेरे संग चलूंगी ॥
ले चल मुझको पार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
गुण अवगुण सब तेरे अर्पण, पाप पुण्य सब तेरे अर्पण ॥
बुद्धि सहत मन तेरे अर्पण यह जीवन भी तेरे अर्पण ॥
मैं तेरे चरणो की दासी ॥
मेरे प्राण आधार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
तेरी आस लगा बैठी हूँ, लज्जा शील गवा बैठी हूँ ॥
मैं अपना आप लूटा बैठी हूँ, आँखें खूब थका बैठी हूँ ॥
साँवरिया मैं तेरी रागिनी ॥
तू मेरा राग मल्हार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
जग की कुछ परवाह नहीं है, सूझती अब कोई राह नहीं है॥
तेरे बिना कोई चाह नहीं है. और बची कोई राह नहीं है ॥
मेरे प्रीतम, मेरे माझी ॥
अब करदो बेडा पार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
आनंद धन जहा बरस रहा, पीय पीय कर कोई बरस रहा है ॥
पत्ता पत्ता हरष रहा है, भगत बेचारा क्यों तरस रहा है ॥
बहुत हुई अब हार गयी मैं ॥
क्यों छोड़ा मझदार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
कन्हैया ले चल परली पार, साँवरिया ले चल परली पार ॥
जहां विराजे राधा रानी, अलबेली सरकार॥
_____________________________________
साँवरिया ले चल परली पार
saanwariya le chal parli paar jahan viraje radha rani albeli sarkaar
कन्हैया ले चल परली पार, साँवरिया ले चल परली पार ॥
जहां विराजे राधा रानी, अलबेली सरकार॥
विनती मेरी मान सनेही, तन मन है कुर्बान सनेही॥
कब से आस लिए बैठी हूँ, जग को बाँध किये बैठी हूँ ॥
मैं तो तेरे संग चलूंगी ॥
ले चल मुझको पार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
गुण अवगुण सब तेरे अर्पण, पाप पुण्य सब तेरे अर्पण ॥
बुद्धि सहत मन तेरे अर्पण यह जीवन भी तेरे अर्पण ॥
मैं तेरे चरणो की दासी ॥
मेरे प्राण आधार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
तेरी आस लगा बैठी हूँ, लज्जा शील गवा बैठी हूँ ॥
मैं अपना आप लूटा बैठी हूँ, आँखें खूब थका बैठी हूँ ॥
साँवरिया मैं तेरी रागिनी ॥
तू मेरा राग मल्हार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
जग की कुछ परवाह नहीं है, सूझती अब कोई राह नहीं है॥
तेरे बिना कोई चाह नहीं है. और बची कोई राह नहीं है ॥
मेरे प्रीतम, मेरे माझी ॥
अब करदो बेडा पार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
आनंद धन जहा बरस रहा, पीय पीय कर कोई बरस रहा है ॥
पत्ता पत्ता हरष रहा है, भगत बेचारा क्यों तरस रहा है ॥
बहुत हुई अब हार गयी मैं ॥
क्यों छोड़ा मझदार ॥
साँवरिया ले चल परली पार ॥
कन्हैया ले चल परली पार, साँवरिया ले चल परली पार ॥
जहां विराजे राधा रानी, अलबेली सरकार॥
_____________________________________
Download Also
________________________________
COMMENTS