मैं तो अमर चुनड़ी ओढू (Mira Bhajan) Download pdf & lyrics
Bhajan
मैं तो अमर चुनड़ी ओढू
Radhe Krishna
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Track Name - मैं तो अमर चुनड़ी ओढू
Voice - Hari Dasi
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Read Here - भक्ति कथायें ।।
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मैं तो अमर चुनड़ी ओढू
मीरा जनमी मेड़ते,
वा परणाई चित्तोड़।
राम भजन प्रताप सु,
वा शक्ल सृष्टि शिरमोड।
शक्ल सृष्टि शिरमोड,
जगत मे सहारा जानिये।
आगे हुई अनेक कई बाया कई रानी,
जीन की रीत सगराम कहे।
जाने में खोर।।
तीन लोक चौदाह भवन में,
पोछ सके ना कोई।
ब्रह्मा विष्णु भी थक गया,
शंकर गया है छोड़।।
धरती माता ने वालो पेरु घाघरो,
मैं तो अमर चुनड़ी ओढू।
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।।
चाँद सूरज म्हारे अंगडे लगाऊ,
में तो झरणा रो झांझर पेरु।
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।।
नव लख तारा म्हारे अंगडे लगाऊ,
मैं तो जरणा रो झांझर पेरु।
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।।
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नव कोली नाग म्हारे चोटीया सजाऊ,
जद म्हारो माथो गुथाऊ।
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।।
ग्यानी ध्यानी बगल में राखु,
हनुमान वालो कोकण पेरू।
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।।
भार सन्देश में अदकर बांदु,
मैं डूंगरवाली डोडी में खेलु।
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।।
दोई कर जोड़ एतो मीरो बाई बोले,
मैं तो गुण सावरिया रा गावु।
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।।
धरती माता ने वालो पेरु घाघरो,
मैं तो अमर चुनड़ी ओढू।
मैं तो संतो रे भेली रेवू,
आधु पुरुष वाली चैली जी।।
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