ना जाने कौन से गुण पर दयानिधि रीझ जाते है (Krishna Bhajan) Download pdf & lyrics
Bhajan
ना जाने कौन से गुण पर
Krishna Bhajan
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Track Name - ना जाने कौन से गुण पर
Voice - Hari Dasi
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Read Here - भक्ति कथायें ।।
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ना जाने कौन से गुण पर
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर,
प्रभु को नियम बदलते देखा।
अपना मान टले टल जाये,
पर भक्त का मान ना टलते देखा।।
ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है।
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
नही स्वीकार करते है,
निमंत्रण नृप दुर्योधन का।
विदुर के घर पहुंचकर,
भोग छिलको का लगाते है।
ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है।
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
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नही स्वीकार करते है,
निमंत्रण नृप दुर्योधन का।
विदुर के घर पहुंचकर,
भोग छिलको का लगाते है।
ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है।
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
ना आये मधुपुरी से गोपियो की,
दुख व्यथा सुनकर।
द्रोपदी के बुलाने पर,
द्वारिका से दौड़े आते है।
न जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है।
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
न रोये बन गमन सुनकर,
पिता की वेदनाओ पर।
लिटाकर गिद्ध को निज गोद,
में आंसू बहाते है।
न जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है।
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
कठिनता से चरण धोकर,
मिले जो बिन्दु विधि हर को।
वो चरणोदक स्वयं जाकर,
केवट के घर लुटाते है।
न जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है।
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते है।
यही हरि भक्त कहते है,
यही सदग्रंथ गाते है।।
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