कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा (Krishna Bhajan) - Download pdf & lyrics
Bhajan
कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा
Shyam Bhajan
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Track Name - कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा
Voice - Hari Dasi
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Read Here - भक्ति कथायें ।।
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कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा
कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा, कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा,
मेरे साथ होता है सरेआम तमाशा, है आंखों में आंसू और दिल मे निराशा,
कई जन्मों से राह में पलकें बिछाई, ना पूरी हुई एक भी दिल की आशा,
सुलगती भी रहती करो आग ठंडी, भटकती लहर को दिखा दो किनारा,
कृपा पात्र.....
कभी बांसुरी लेके इस तट पे आओ, कभी बनके घन मन के अंबर पे छाओ,
बुझा है मेरे मन की कुटिया का दीपक, कभी करुणा दृष्टि से इसको जलाओ,
बता दो कभी अपने श्री मुख कमल से, कहाँ खोजने जाऊ अब ओर सहारा,
कृपा पात्र.....
कुछ है जो सुंदरता पर नाज करते हैं, कुछ है जो दौलत पे नाज करते हैं,
मगर हम गुनहगार बन्दे ऐ कन्हैया, सिर्फ तेरी रहमत पे नाज करते है
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कभी मेरी बिगड़ी बनाने तो आओ, कभी सोये भाग जगाने तो आओ,
कभी मन की निर्बलता को देदो शक्ति, कभी दिल का साहस बढ़ाने तो आओ,
कभी चरण अपने धुलाओ तो जानू, बहा दी है नैनों से जमुना की धारा,
कृपा पात्र....
लटकते हुए बीत जाए ना जीवन, भटकते हुए बीत जाए ना जीवन
चौरासी के चक्कर में हे चक्करधारी, भटकते हुए बीत जाए ना जीवन,
सँभालो ये जीवन ए जीवन के मालिक, मेरा कुछ नहीं है आप जीते मैं हारा,
कृपा पात्र....
दुनिया वालों ने मुझे दिये है जो घाव गहरे,
मरहम का काम हो जाये गर तुम आ जाओ मिलने।
कहो ओर कब तक रिझाता रहूं मैं, बदल कर नए वेश आता रहूं मैं,
कथा वेदना की सुनते सुनाते, हरे घाव दिल के दिखाता रहूं मैं,
ना मरहम लगाओ ना हंस कर निहारो, कहो किस तरह होगा अपना गुजारा,
कृपा पात्र...
कन्हैया को एक रोज रो के पुकारा, कृपा पात्र किस दिन बनूँगा तुम्हारा,
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